Dr. B R Ambedkar (14 April 1891 - 6 December 1956) : संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के सपनों के भारत निर्माण में आज आपकी भागीदारी को समर्पित मेरा प्रयास
संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के सपनों के भारत निर्माण में आज आपकी भागीदारी को समर्पित मेरा प्रयास .....................
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Dr. B.R. Ambedkar (14 April 1891 - 6 December 1956) : The father of mordern India |
संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर जी के जन्मदिवस
(14 अप्रैल)
पर समर्पित मेरा यह लेख उनके स्वर्णिम सपनों और लक्ष्यों के साथ भारत के समाजवादी पंथनिरपेक्ष प्रजातांत्रिक गणराज्य
(SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC) उद्देश्य की प्रतिपूर्ति हेतु प्रयास है।
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Preamble of the Indian Constitution |
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भारतीय संविधान की प्रस्तावना |
समाज में सेक्युलर विचार धारा के व्यक्तियों से कट्टरवादिता में अंधे हो चले स्वकथित बुद्धजीवी लोगों के अमर्यादित व्यवहार को लेकर तथा उनके सेक्युलर भांड नपुंसक
........,..................................................... जैसी टिप्पणियों पर सिर्फ दुःख ही नही होता अपितु अत्यंत ग्लानि होती है।
और फिर हमारे गांधी और अम्बेडकर जी जैसे महान मनीषियों के भारत में रहते हुए ये पीड़ा ब्यक्त करनी पड़ती है कि
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वाह रे
!!!! महानुभाव लोगों आपने तो सेक्युलर शब्द को परिभाषित करने में संविधान और माननीय उच्चतम न्यायालय को भी पीछे छोड़ दिया।
धन्य है आप और आप जैसे लोगों की सोच
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ऐसे महानभाव लोग जो सेक्युलरिज़्म को अपने और अपनी विचारधारा के अनुसार परिभाषित करने में लगे है और सैक्युलर होने को नपुंसकता इत्यादि कहने पर आमादा हो जाते हैं सामान्यतः हमसे उम्र में काफी बड़े हो सकते हैं इसलिए मेरी भी नैतिकता बनती है कि शब्दों के लहजे का ध्यान रखते हुए लिखूं..............
ये सब कहने वाले कोई और लोग नही बल्कि वही लोग है जो आपने आप को सच्चा देश भक्त अर्थात भारतीय कहते है लिहाजा उनकी संविधान पर आस्था न होने का कोई प्रश्न ही नही उठता तो जनाब स्पष्ट रूप से पूर्ण होशोहवास से समझ लीजिए की ऐसा कह कर आप उस भारतीय संविधान की प्रस्तावना को गाली देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं जो
SECULAR अर्थात पंथ निरपेक्ष राज्य की उद्देशिका से परिपूर्ण है ।
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Framer of the Indian Constitution |
और आदरणीय महानुभावओं दूसरों का मुझे नही पता पर सबसे बड़े देशद्रोही तो आप लोग स्वयं दिख जाते है जब आप संविधान और उच्चतम न्यायलय से ऊपर उठकर सेकुलरिज्म को अपने अनुसार स्वयं परिभाषित करने पर आमादा हो जाते है और Seculars को जो वास्तव में संवैधानिक तौर पर है,
उन्हें सेक्युलर भाड़
.............आदि आपत्तिजनक शब्दों से उदबोधित करने की जुर्ररत
करने का दुःसाहस करने लगते है।
इस प्रकार के मेरे प्यारे देशद्रोही भाइयों और बुद्धजीवियों माननीय उच्चतम न्यायालय ने
Secularim अर्थात पंथ निरपेक्ष होने का तात्पर्य
S.R BOMMAI V. UNION OF INDIA में स्पष्ट कर दिया है कि पंथ निरपेक्षता का मतलब है कि
"राज्य सभी धर्मों के कल्याण के लिए बिना किसी भेदभावना,ईर्ष्या और द्वेष के साथ सभी कार्य करेगा ।"
"State will do everything for the betterment of
religion without being biased."
और संविधान के अन्य अनुच्छेदों जैसे अनुच्छेद 25, 26, 27, 28 में भी स्पष्ट किया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म में निष्ठा रखते हुए अन्य धर्मों का सम्मान करेगा।
अतः आप बुद्धजीवियों को
Secularim जैसी संवैधानिक भावना को परिभाषित करने का कोई सवाल ही नही उठता।
विधि विद्यार्थी होने की वजह से सिर्फ भारत का संविधान ही नही अपितु अन्य कई देशों जैसे ब्रिटेन,
अमेरिका
, स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस आदि के संविधानों को
2 वर्ष तक अध्ययन करने का अवसर प्राप्त हुआ है परंतु मुझे इस प्रकार की परिभाषा कहीं देखने को नही मिली जैसा की आप देशद्रोही जन परिभाषित करते है.........
इस प्रकार भारतीय संविधान को ताख पर रख कर स्वयं की परिभाषा के जनक देशद्रोही लोगों पर उम्र के ख्याल से मुझे उनके ज्ञान और बुद्धिजीविता पर कोई संदेह नही है
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पर उनसे विनम्र आग्रह है कि जनाब लोगों के प्रति न सही संविधान के प्रति मर्यादित भाषा का प्रयोग आप लोग भी सीख लीजिये देशहित में आपकी बची हुई उम्र के लिए सुखद रहेगा।
अन्यथा आप और भारत के संविधान को ठुकरा कर देशद्रोही नारे लगाने वालों और आतंकवाद फ़ैलाने वालों में मुझे कोई खास फर्क नही दिखाई देता है।
क्यू की अगर ऐसे लोग देश को मज़बूत बनाने में बहुत बड़े बाधक है तो आप महान बुद्धिजीवी लोग भी संविधान के भावनाओं का गला घोंटने में उनके पूर्ण सहयोगी हैं
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अगर वास्तव में आप संविधान के उद्देश्यों को सफल बनाने में इस प्रकार की ओछी मानसिकता का त्याग कर पायेंगे तो यह संविधान निर्माताओं को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी । और जब हमारा संविधान पूर्ण रूप से सफल साबित होगा आपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में तो संविधान के पिता डॉ भीमराव अंबेडकर जी की आत्मा जहाँ भी होगी अपने आप में गर्व और सम्मान महसूस करेगी।
शायद संविधान निर्माता डॉ अम्बेडकर जी के जन्मदिवस का प्रचार करने की और महात्मा गांधी जी को श्रद्धांजलि देने हेतु आयोजनों की जरुरत नही होगी क्यू की उनके सपनो के स्वर्णिम भारत का और उनके परिकल्पित संविधान संविधान का सफल होना ही उनको श्रधांजलि और उनके जयंतियों का विशाल आयोजन होगा।
हमे आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है जिस दिन आप लोगों जैसे स्वकथित बुद्धिजीवी लोग जो संविधान की उद्देशिका से भी खिलवाड़ कर अपनी विचार धारा थोपने से पीछे नही हटते,
सुधार में तल्लीनता प्रकट करेंगे जरूर हमारे मनीषियों के भारत का निर्माण होगा और उनकी कल्पना का संविधान सफल होगा।
।।धन्यवाद।।
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लेखक
ABHISHEK KUMAR MISHRA
LL.B HONS. (P.)
UNIVERSITY OF LUCKNOW
Gen. Secratary SATYA LEGAL UPDATES
प्रदेश संगठन मंत्री
डॉ कलाम शिक्षा एवं सेवा संस्थान उत्तर प्रदेश
Mob. +91-9918233378
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बहुत सुन्दर उम्दा लेख अभिषेक जी
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteबहुत सुन्दर उम्दा लेख अभिषेक जी
ReplyDeleteधन्यवाद
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