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Author : Abhishek Mishra ; Lucknow 4 May 2019
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●●●●शिक्षा अर्जन अथवा जीविकोपार्जन हेतु अपने घरों से दूर शहर या किसी अन्य प्रदेश में रह रहे अधिकांश युवक-युवतियां, छात्र-छात्राएं ........अपने लोकसभा/विधानसभा/स्थानीय निकाय की निर्वाचक नामावली में दर्ज हैं उन्हें मताधिकार भी मिला हुआ है परन्तु चुनाव की घोषणा होते ही उन सब के सम्मुख एक विकट असमंजसता आ खड़ी होती है ।.....वो है मतदान की तिथि........
मतदान की तिथि मालूम पड़ते ही हम सब बाहर रहे रहे लोग गुणा-गणित लगाकर प्रथम दृष्टया हर सम्भव प्रयत्न करते हैं कि येन केन प्रकारेण मतदान वाले दिन घर पहुंच कर मतदान कर आऊं.....परन्तु पेशामन्द लोगों को दफ्तर से अवकाश न मिलना, या शिक्षार्जन में लगे छात्र छात्राओं की परीक्षा एवं क्लासेज छूट जाने का भय ..........ऐसी तमाम अटकलें होती हैं जिनसे हम सब अपने गांव-घर जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सही सरकार और अच्छा प्रतिनिधि नही चुन पाते हैं।
मतदाताओं को जागरूक कर उन्हें मतदान का कर्तव्यबोध कराते हुए कई बार ऐसे मित्रों से मुखातिब हुआ जिन्होंने अपने वोट न दे पाने के कारणों से अवगत कराया; किसी ने घर से बहुत दूर होना (जैसे चेन्नई, बेंगलुरु.... ) तो किसी ने दफ्तर से छुट्टी न मिल पाना तो किसी ने परीक्षाओं का हवाला दिया । कारण वाजिब थे सो अंततः हमे ही चुप होना पड़ा......
मतदान की तिथि मालूम पड़ते ही हम सब बाहर रहे रहे लोग गुणा-गणित लगाकर प्रथम दृष्टया हर सम्भव प्रयत्न करते हैं कि येन केन प्रकारेण मतदान वाले दिन घर पहुंच कर मतदान कर आऊं.....परन्तु पेशामन्द लोगों को दफ्तर से अवकाश न मिलना, या शिक्षार्जन में लगे छात्र छात्राओं की परीक्षा एवं क्लासेज छूट जाने का भय ..........ऐसी तमाम अटकलें होती हैं जिनसे हम सब अपने गांव-घर जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सही सरकार और अच्छा प्रतिनिधि नही चुन पाते हैं।
मतदाताओं को जागरूक कर उन्हें मतदान का कर्तव्यबोध कराते हुए कई बार ऐसे मित्रों से मुखातिब हुआ जिन्होंने अपने वोट न दे पाने के कारणों से अवगत कराया; किसी ने घर से बहुत दूर होना (जैसे चेन्नई, बेंगलुरु.... ) तो किसी ने दफ्तर से छुट्टी न मिल पाना तो किसी ने परीक्षाओं का हवाला दिया । कारण वाजिब थे सो अंततः हमे ही चुप होना पड़ा......
वैसे आज बैठे बिठाए इस समस्या पर लिखने का मन कुछ यूं बना कि आगामी 6 तारीख को हमारे जिले में मतदान है और 7 मई को सुबह 8 बजे से हमारी परीक्षा ....पहली बार मत देने का सुअवसर आया था, पिता जी ने एक शाम फोन करके जब यह बात बताई की मैं भी निर्वाचक नामावली में दर्ज हो गया हूँ और मेरा मतदाता पहचान पत्र हमारे घर पहुंच चुका है तो सच मुच पहले बार मतदान की मेरी उत्सुकता चरमोत्कर्ष पर थी। परन्तु परीक्षा तिथि घोषित होते ही मेरी लालसा पर पानी फिर गया......अब मुझे अपने उन मित्रों की समस्या भी पूरी तरह स्पष्ट हो गयी जो तमाम कारणों से मतदान से वंचित रह जाते हैं। इसमें कोई सन्देह नही कि जाके पांव न फाट बेवाई ते का जानय पीर पराई....
खैर हम सब के चिंतन का विषय यह है कि तकनीकी एवं संसाधनों से लैशालैश इस आधुनिक दौर में हमारी सरकार एवं निर्वाचन आयोग ऐसी व्यवस्था क्यों नही इजात कर पाया कि जिससे हमसे हमारा मताधिकार न छिनने पाए... हम जहां कहीं भी रह रहे हों वहीं से अपना मताधिकार प्रयुक्त कर मतदान कर सकें, अपना प्रत्याशी/प्रतिनिधि चुन सकें, अच्छी सरकार बनाने में अपनी तय भूमिका एवं सहभागिता सुनिश्चित कर सकें......एक बेहतर सशक्त समृद्ध लोकतंत्र का बासिन्दा होने का अहसास जी सकें.........
चिंतन मंथन एवं सुझावों सहित आपकी टिप्पणियों के सादर स्वागत एवं हार्दिक अभिनंदन हैं.....
खैर हम सब के चिंतन का विषय यह है कि तकनीकी एवं संसाधनों से लैशालैश इस आधुनिक दौर में हमारी सरकार एवं निर्वाचन आयोग ऐसी व्यवस्था क्यों नही इजात कर पाया कि जिससे हमसे हमारा मताधिकार न छिनने पाए... हम जहां कहीं भी रह रहे हों वहीं से अपना मताधिकार प्रयुक्त कर मतदान कर सकें, अपना प्रत्याशी/प्रतिनिधि चुन सकें, अच्छी सरकार बनाने में अपनी तय भूमिका एवं सहभागिता सुनिश्चित कर सकें......एक बेहतर सशक्त समृद्ध लोकतंत्र का बासिन्दा होने का अहसास जी सकें.........
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