पद्मावत विवाद : जरूरत अतीत को नही बल्कि वर्तमान के जरिये भविष्य को सुधारने की होनी चाहिए - Abhishek Mishra
पद्मावत के नाम पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे वीरों को अपनी शक्ति सबसे पहले अपने समाज के न्यूनवस्त्र धारिणी आधुनिक #पद्मवतियों पर खपाने की जरूरत है-
Author : Abhishek Mishra ; 28 January 2018 Lucknow
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Padmawat 2018 |
#पद्मावती एक बीता कल है, फिल्में उसकी अस्तित्व और गौरवगाथा को समाप्त नही कर सकती। परन्तु यदि आज हमारे सामज के ये वीर यदि अतीत को लेकर वर्तमान को नज़रन्दाज करते रहे तो कल भविष्य जरूर खतरे में होगा। कहते हुए बड़ी वेदना होती है पर ये सच है सड़क पर कम और अश्लील कपड़ों में घूम रही #पद्मवतियां अधिकतर क्षत्रिय, ब्राह्मण और व्यापारी वर्ग के रहीस घरों की ही बेटियां हैं, मुस्लिम, दलित और गरीब घरों की लड़कियां आज भी #हिज़ाब और सभ्य कपड़ों में दिखती हैं। हो सकता है मेरी बात तमाम बहनों और आधुनिकता के दौर में अंधे हो चले #फैशनपरस्त लोगों को बुरी लगे, पर सड़कों पर उतर कर कभी बड़े शहरों में झांक कर देखियेगा। जितने कम और कटे-पिटे कपड़ों में रहीस ब्राह्मण क्षत्रिय और व्यापारी वर्ग के परिवारों की लड़कियां सड़कों पर खुलेआम घूमती हैं, उतने कम या कटे-पिटे कपड़े पहनकर शायद ही लड़का कोई लड़का नुक्क्ड़ की दुकान तक चाय पीने जा पाए।
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Karni Sena's obiquitous Agitation over Padmawat |
अगर आप पद्मावती के लिए तलवार उठा सकते हैं तो अपने बहन बेटियों के लिए क्यों नहीं.........? क्या आपकी सभ्यता संस्कृति और अस्मिता उस वख्त खतरे में नही होती जब आपके समाज की लड़की अंग प्रदर्शन करती हुई खुली बाज़रों में घूमती है, और समाज के सभी लोग उसे देख कर #नयनसुख की अनुभूति करते हैं। क्या आपका गौरवशाली इतिहास आपकी संस्कृति अपनी बहन बेटियों को लोक मनोरंजन की वस्तु बनाने की इजाजत देता है........?
अगर नहीं!!.. तो पद्मावती की सुरक्षा से पहले जरूरी है अपने समाज की बहन बेटियों को सुरक्षित करें।
यहां मैं पर्दा-प्रथा की हिमायत नही कर रहा, न ही #पद्मावत का प्रचार। पर हमारा समाज अफवाहों में आकर अपनी ऊर्जा शक्ति का दुरुपयोग न कर बैठे इस बात की चिंता जरूर है। कोई फिल्म इतिहास को नही बदल सकती है न किसी की अस्मिता से छेड़छाड़ कर सकती है। परंतु यदि आज आपने अपनी पद्मवतियों पर ध्यान नही दिया तो भविष्य में आपका इतिहास शायद ही सुरक्षित दिखे।
पद्मावत जैसे इतिहास पर लड़ने की बजाय अपने आस-पास अपने समाज और आधुनिकता में बह चली अपनी संस्कृति पर विचार करिये। शायद आप भविष्य में भी पद्मावती की लाज पूर्ववत सुरक्षित रख सकें.....................
अगर नहीं!!.. तो पद्मावती की सुरक्षा से पहले जरूरी है अपने समाज की बहन बेटियों को सुरक्षित करें।
यहां मैं पर्दा-प्रथा की हिमायत नही कर रहा, न ही #पद्मावत का प्रचार। पर हमारा समाज अफवाहों में आकर अपनी ऊर्जा शक्ति का दुरुपयोग न कर बैठे इस बात की चिंता जरूर है। कोई फिल्म इतिहास को नही बदल सकती है न किसी की अस्मिता से छेड़छाड़ कर सकती है। परंतु यदि आज आपने अपनी पद्मवतियों पर ध्यान नही दिया तो भविष्य में आपका इतिहास शायद ही सुरक्षित दिखे।
पद्मावत जैसे इतिहास पर लड़ने की बजाय अपने आस-पास अपने समाज और आधुनिकता में बह चली अपनी संस्कृति पर विचार करिये। शायद आप भविष्य में भी पद्मावती की लाज पूर्ववत सुरक्षित रख सकें.....................
● Abhishek Kumar Mishra
विधि विद्यार्थी (लखनऊ विश्वविद्यालय)
विधि विद्यार्थी (लखनऊ विश्वविद्यालय)
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