चखा था जो कभी, इश्क को इत्तेफाक से हमने
चखा था जो कभी, इश्क को इत्तेफाक से हमने
छाले आज भी जुबान की फितरत बिगाड़ देते हैं
मिले थे सुर्ख शोले शब्द बनकर जो नसीहत में
याद आकर वो बेबस आंसू झाड़ देते हैं।।
वखत होता, किताबें इश्क पर दो-चार लिखते हम
पर उन्हें मालूम क्या होगा ये मेरे दर्द का मातम....
जो अक्सर बिन पढ़े ही खत को मेरे फाड़ देते हैं।।
Here -
1. नसीहत = Stern warning
2. फाड़ देना = Delete/Ignore What's App Massages
@aksatya
19 May 2018
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