Skip to main content

विकल्प शून्यता एवं गैर जागरुक मतदाता लोकतंत्र के लिए अभिशाप... : Abhishek Mishra "Satya"


Author :   Abhishek Mishra ; Lucknow 5 May 2019
Follow on : Facebook Twitter | Linkedin | What's app
●●●आजकल अधिकांश लोगों के मुंह से सुनाई पड़ता है कि मोदी नही तो फिर कौन???.... यह हमारे समाज के लोकतांत्रिक एवं राजनीतिक सुचिता में आई गिरावट का परिणाम है। ये हमारा दुर्भाग्य ही है कि तकरीबन 75 करोड़ मतदाताओं वाले वृहत लोकतंत्र में देश के युवाओं को विकल्प शून्यता महसूस हो रही है। मैं पहले भी लिख चुका हूं और पुनः कह रहा हूँ कि विकल्प शून्यता एवं गैर जागरुक मतदाता लोकतंत्र के लिए अभिशाप हैं। एतएव ऐसी भयावह स्थिति से देश को बचाना हम सब का सामूहिक दायित्व है......

1951 के प्रथम आम चुनाव में जब देश की साक्षरता 18 फीसद थी तब बुद्धजीवी विद्वान एवं प्रकांड मनीषियों से सदन सुशोभित था और आज जब हमारी साक्षरता 75 फीसद होने को है तब हम गुंडा मवाली, पुस्तैनी पेशेवर नेता अभिनेता, भू माफिया खनन माफिया डकैत और तस्करों को सदन में चुन कर भेजते हैं ....आखिर ये लोकतांत्रिक सुचिता में गिरावट नही तो क्या है??

मेरी अल्पज्ञता के मुताबिक लोकतंत्र की संकल्पना दो मूलभूत अधिकारों पर टिकी है जिसमें पहला है चुनने का अधिकार एवं दूसरा है चुने जाने का अधिकार ... यदि मतदान प्रतिशतता पर नज़र फेरी जाए तो मालुम पड़ता है कि बीते 7 दशकों से हम अभी तक पहले अधिकार को ही ढंग नही जान पाए हैं....... ऐसे में दूसरे पर चर्चा का तो कोई प्रश्न ही नही ...

फिलहाल दिनकर जी की चंद उधार पंक्तियों के हवाले आपकी टिपण्णी चिंतन एवं अध्ययन हेतु एक विषय छोड़े जा रहा हूँ ........
वह संसार जहाँ पर पहुँची अब तक नहीं किरण है,
जहाँ क्षितिज है शून्य, अभी तक अंबर तिमिर-वरण है।
पूज रहा है जहाँ चकित हो जन-जन देख अकाज,
सात दशक हो गए राह में अटका कहाँ स्वराज?

समर शेष है इस स्वराज को सत्य बनाना होगा।
जिसका है यह न्यास, उसे सत्वर पहुँचाना होगा।
धारा के मग में अनेक पर्वत जो खड़े हुए हैं,
गंगा का पथ रोक इन्द्र के गज जो अड़े हुए हैं,

कह दो उनसे झुके अगर तो जग में यश पाएँगे,
अड़े रहे तो ऐरावत पत्तों -से बह जाएँगे।

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।....

●●●
Abhishek Mishra
LL.B Hons.(P.),
Lucknow University
#Yours'Commemt  @aksatya100

Comments

Popular posts from this blog

Dr. B R Ambedkar (14 April 1891 - 6 December 1956) : संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के सपनों के भारत निर्माण में आज आपकी भागीदारी को समर्पित मेरा प्रयास

संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के सपनों के भारत निर्माण में आज आपकी भागीदारी को समर्पित मेरा प्रयास .....................                                Dr. B.R. Ambedkar (14 April 1891 - 6 December 1956) :  The father of mordern India           संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर जी के जन्मदिवस (14 अप्रैल ) पर समर्पित मेरा यह लेख उनके स्वर्णिम सपनों और लक्ष्यों के साथ भारत के समाजवादी पंथनिरपेक्ष प्रजातांत्रिक गणराज्य (SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC) उद्देश्य की प्रतिपूर्ति हेतु प्रयास है। Preamble of the Indian Constitution भारतीय संविधान की प्रस्तावना         समाज में सेक्युलर विचार धारा के व्यक्तियों से कट्टरवादिता में अंधे हो चले स्वकथित बुद्धजीवी लोगों के अमर...

रक्षा बंधन की शाम बहनों के नाम - संस्मरण : Abhishek Mishra

रक्षा बंधन की शाम बहनों के नाम - संस्मरण : Abhishek Mishra Author :   Abhishek Mishra ;   Lucknow 26  August 2018   Follow on :  Facebook   |  Twitter  |   Linkedin Collection of my Raksha Bandhans        **भाई-बहन के अप्रतिम प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व हर वर्ष सावन के मासांत में एक डोर के साथ भाई की कलाई पर अनगिनत अपेक्षायें बांध जाता है। ईश्वर की रहनुमाई ने मुझे भी दो बहनों से नवाज कर ख़ुशक़िस्मत बना दिया, सो परम्परा अनुसार मेरी भी दिली ख़्वाहिश रहती है कि रक्षा बंधन के विशेष पर्व में बहनों के साथ सरीक होकर उनकी ख़ुशी को बरकार रखें। हर वर्ष की भांति इस बार भी घर जाने की तैयारी में था परन्तु कुछ आर्थिक समस्याओं ने मेरा पांव पकड़ लिया। मुझे बाखूबी मालूम है कि गांव में सबके भाइयों को घर पर देख मेरी बहनें मेरी ग़ैर हाजिरी पर दुबक कर किसी कोने में जरूर रोयेंगी। इस बात की मुझे बेहद ग्लानि है कि उनका प्यार मेरी लाचारी को धिक्करता रहेगा। मेरी बहनों ने मेरी कलाई पर अपने प्यार की डोर बांधते हुए कभी भी कोई बड़...

मेरा वोट मेरी आवाज : My Vote My Voice - Abhishek Mishra

My Vote My Voice Author :   Abhishek Mishra ;   Lucknow 4 May 2019 Follow on :  Facebook   |  Twitter  |   Linkedin  |  What's app    ●●●●शिक्षा अर्जन अथवा जीविकोपार्जन हेतु अपने घरों से दूर शहर या किसी अन्य प्रदेश में रह रहे अधिकांश युवक-युवतियां, छात्र-छात्राएं ........अपने लोकसभा/विधानसभा/स्थानीय निकाय की निर्वाचक नामावली में दर्ज हैं उन्हें मताधिकार भी मिला हुआ है परन्तु चुनाव की घोषणा होते ही उन सब के सम्मुख एक विकट असमंजसता आ खड़ी होती है ।.....वो है मतदान की तिथि........ मतदान की तिथि मालूम पड़ते ही हम सब बाहर रहे रहे लोग गुणा-गणित लगाकर प्रथम दृष्टया हर सम्भव प्रयत्न करते हैं कि येन केन प्रकारेण मतदान वाले दिन घर पहुंच कर मतदान कर आऊं.....परन्तु पेशामन्द लोगों को दफ्तर से अवकाश न मिलना, या शिक्षार्जन में लगे छात्र छात्राओं की परीक्षा एवं क्लासेज छूट जाने का भय ..........ऐसी तमाम अटकलें होती हैं जिनसे हम सब अपने गांव-घर जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सही सरकार और अच्छा प्रतिनिधि नही चुन पाते हैं। मतदात...

Abhishek Mishra "SATYA" (aksatya) : कुछ अपनी शेरों शायरी

1.      टूटे हुए इस दिल में थोड़ी आह रहने दो          तुम न सही पर किसी और कि , तो राह रहने दो          हां मालूम है तुम्हे मेरी शकल से नफरत है बहुत.......          पर दिल में तो थोड़ी मेरी चाह रहने दो...........।।                                         - @aksatya100                                         20 August 2017                                                  2. कभी खुशी से खुशी की तरफ नही देखा     तेरे बाद किसी और कि तरफ नही दे...

होकर अधीर हमने कब चाहा, दो क्षण भर तुमको पा लूं मैं : Abhishek Mishra "Satya"

Author :   Abhishek Mishra ;   Lucknow 24 July 2020 Follow on :  Facebook   |  Twitter  |   Linkedin  |  What's app होकर अधीर हमने कब चाहा, दो क्षण भर तुमको पा लूं मैं। जिस्मों पर कर अंकित निशान कब चाहा तुमको हथिया लूं मैं। मैं सदा सत्य के साथ रहा, हर क्षण अपने नैतिक पैमाने में दो क्षमा दान इस मानव को, जो पतित हुआ तुमको समझाने में।। जीवन में उन्नति के खातिर, कुछ मन्त्र तुन्हें सिखलाया है। नैतिकता से हासिल कर लो सबकुछ ऐसा सदमार्ग दिखाया है। पर तुमको लाज नही आयी हमपर रोष दिखाने में..... दो क्षमा दान इस मानव को, जो पतित हुआ तुमको समझाने में।। Abhishek Mishra LL.B Hons.(P.), Lucknow University