Author : Abhishek Mishra ; Lucknow 24 July 2020 Follow on : Facebook | Twitter | Linkedin | What's app होकर अधीर हमने कब चाहा, दो क्षण भर तुमको पा लूं मैं। जिस्मों पर कर अंकित निशान कब चाहा तुमको हथिया लूं मैं। मैं सदा सत्य के साथ रहा, हर क्षण अपने नैतिक पैमाने में दो क्षमा दान इस मानव को, जो पतित हुआ तुमको समझाने में।। जीवन में उन्नति के खातिर, कुछ मन्त्र तुन्हें सिखलाया है। नैतिकता से हासिल कर लो सबकुछ ऐसा सदमार्ग दिखाया है। पर तुमको लाज नही आयी हमपर रोष दिखाने में..... दो क्षमा दान इस मानव को, जो पतित हुआ तुमको समझाने में।। Abhishek Mishra LL.B Hons.(P.), Lucknow University
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