मेरा ख्वाब हो तुम....
Author : Abhishek Mishra ; 15 December 2017 Lucknow
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मेरा ख्वाब हो तुम....
मेरे नींदों में उमड़ते हर सवालों का जवाब हो तुम
मेरे अश्कों से निकले हर आंसुओं का हिसाब हो तुम
औकात नही मेरी तुम्हारे बड़प्पन से एतराज की.......
आखिर फिर क्या वजह है नाराज हो तुम......
तुम्हें पाने की हसरतें तो आज भी जिन्दा हैं......
पर तुम्हे भी तो समझ हो, मेरा ख्वाब हो तुम
मेरे नींदों में उमड़ते हर सवालों का जवाब हो तुम
मेरे अश्कों से निकले हर आंसुओं का हिसाब हो तुम
औकात नही मेरी तुम्हारे बड़प्पन से एतराज की.......
आखिर फिर क्या वजह है नाराज हो तुम......
तुम्हें पाने की हसरतें तो आज भी जिन्दा हैं......
पर तुम्हे भी तो समझ हो, मेरा ख्वाब हो तुम
मेरी दवा हो ... दुआ हो, मेरा इलाज हो तुम
कैसे बताऊं मेरे हलक की आवाज हो तुम
यूं ही खामोश होने की आदत तुम्हे तो नही......
कुछ तो वजह है..?, या बेवजह ही नाराज हो तुम
आभास हो तुम मेरा अहसास हो तुम
क्यूं लगता है ...मेरे आस-पास हो तुम.........
ख्वाबों के सिवा कहीं और तो तुम्हे देखा ही नही...........
कहीं ऐसा तो नही...? मेरी याददाश्त हो तुम.....
खैर छोड़ो!..बात कुछ भी हो लाजवाब हो तुम....
अरसों से दिखता... मेरा ख्वाब हो तुम........
दुखभरी मेरी हर कहानी का सार हो तुम
होली हो,दीवाली हो मेरे रोज़े का इफ्तार हो तुम
कैसे कहूँ, कितना कहूँ अब और कितनी बार लिखूं
मेरे जीवन का पहला और आखिरी प्यार हो तुम
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