री सावन तेरी तुनक मिज़ाजगी से आजिज़ आ गए हैं हम.........
●●●●●शाम को जैसे ही हमारी कोचिंग का वख्त होता है साहब अपनी तुनक मिज़ाजगी से मुंह लटका लेते हैं। गुस्से में ख़ुसूर-फ़ूसुर, थोड़ी बहुत बादलों की रुलाई तो आम बात है, पर घर से क़दम निकालते ही साहब का पूरा कहर बरपने लगता है।
अब हम भी ठहरे किसान के बेटे सो इन बारिश की टपटपाती बूंदों की इतनी मजाल कहां जो वो हमारे हौंसलों को भिगा सकें, मन में ढाढस बांधकर निकलते ही सड़क पर चौपहिया वाहन धारकों का कहर बारिश की तुनक मिजाज में चार चांद जोड़ देता है। ऊपर से बादलों की नाराज़गी और बगल से गुजरते कारों की झन्नाटेदार छप्पछैय्या मौसम की बेरुखी को संजीदा बना देती है।
कभी कभी कारों से उड़ते छर-पर्र से आजिज़ कर मन करता है काले शीशों के बीच सारी नैतिकता खो चुके दो चार साहबजादों को पकड़कर पूछ ही लूं.........आपकी गाड़ी आपकी सड़क होने का यह मतलब तो नही कि बेवज़ह बेमौसम होली मनाते चलो?? फिर मन में आता है इन धन असुरों के मुंह कौन लगे.......
बेमन अनायास की बारिश और धन असुरों के शोषण से निपटते वख्त मटियारी-चिनहट या पॉलीटेक्निक के पुल पर कहीं बगल से गुजरते हुए दो चार दोस्त दिख जाएं तो हम एक दूसरे को ऐसे हाथ हिला कर उत्साह-जोश वर्धन करते हैं मानो कोचिंग नही कारगिल की जंग जीतने जा रहे हों।
यक़ीन मानिये बारिश में अकेले भीगना ख़ालिहर-बेघर गधों सा सु....तियापा है, पर जब दो चार अपने भी साथ भीग रहे हों तो मन में तसल्ली और हौसला दोनों बरकरार रहता है। इसी हौसले और साहस को लिए हम भी रोज़ाना किच-किच भरे सावन में उन्नीस-बीस किलोमीटर का फ़ासला नाप ही देते हैं।
लेखनशैली एवं शब्द चयन पर विनम्रवत आपके सुझाव आमंत्रित हैं........
Abhishek Mishra
LL.B Hons.(P.),
Lucknow University
#Yours'Commemt @aksatya100
Abhishek Mishra
LL.B Hons.(P.),
Lucknow University
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